Monday, August 18, 2008

`पिता ´

पहले दो शब्द

डायरी के पुराने पन्नों के बीच के कुछ शब्दों पर एक बार फिर नजर गई। उन्हें यहां आपके सामने पेश कर रहा हूं। दिल्ली में मेरे शुरूआती सालों की बात है। मेरे बेहद करीबी एक श�स या यूं कहें दोस्त के पिताजी की मृत्यू हो गई थी। हिल गया था। बुरी तरह कांपा हुआ था। उनकी लाश को दिल्ल्ाी से रवाना करने के बाद रात भर सो नहीं सका था। उस डरावनी रात को डायरी में कुछ शब्द नोट किए थे। पता नहीं किसके लिए। तब भी समझ नहीं पाया था। आज भी कुछ वैसे ही हालात है।
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सादर साथी,
मैं इस जगत का प्रवासी पक्षी हूं। मौसम का पता नहीं। कभी कभार ही आ पता हूं। इस बार आया तो आपके बारे में देखा। दुख हुआ। निश्चय ही कठीन क्षण रहा होगा। पर। उबरना पड़ता है। जागतिक दुनिया की इस सच्चाई का एक बार फिर सामना हुआ। तो शब्द अनायास ही, कहीं से उड़ते हुए मेरे पास चले आए। उन्हीं शŽदों को इक्_ा कर आपके पास भेज रहा हूं। क्योंकि उसे अपने उद्गम के स्ाोत्र पर पहुंचना था। वतुüल जो अधूरा रहा गया था। उसे पूरा जो करना है। यही चक्र है।

`पिता ´

छोटे हाथों की
छोटी-छोटी
अंगुलियों को पकड़
तु�हीं ने तो
मेरे नन्हें पावों को
चलना सिखाया।
रात को
कंधे पर
थपकियां देकर
जागती रातों में
सपना दिखाया।
आज
मेरे हाथ
तु�हारे हाथों को
देख नहीं पाते
पर,
तुम ही थे
या
तुम ही होे
जिसने मुझे
जीना
बतलाया
बोलो ना
तुम हो ना ....

शुक्रिया
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Saturday, August 9, 2008

माँ

सर्व प्रिर्य मां विषय पर विक्सन भाई ने कुछ लिखा है। जो रचना बनी है उसे पाठकों ने भी खूब सराहा है। यकीन न आता हो तो कमेंट देख लीजिए।


माँ
बचपन से लेकर जवानी तक बहुत कुछ सिखा जाती है माँ..
रात में लोरी सुनाकर सपनों के देश में ले जाती है माँ..
बच्चों की आंखों में आंसुओं का छलकना देख नहीं पाती है माँ..
अपने आँचल के साये से उन्हें पल में पोंछ डालती है माँ..
मुश्किलों से खुद जूझती पर परिवार में हमेशा प्यार बंटती है माँ..
कुछ इस तरह से जिन्दगी गुजारती है माँ..
माँ न होती तो दुनियां में कुछ भी न होता..
यह धरती न होती यह आकाश भी न होता..

Saturday, August 2, 2008

खून से सने हमारे सपने

खून से सने हमारे सपने
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हमारे सपने खून से सने हैं! जमीन पर बिखरी हुई हजारों लाखों लाशों की दुगZध और सड़ाध से भरे हैं! मरने से पहले पानी के लिए तड़पते प्यासे चेहरों, मौत के पहले और बाद के चिल्लाहट, अकुलाहट, डर, खौफ, आंसू , अकेलापन, निराशा और सन्न्ााटे से साराबोर है हमारे सपने। पर हमें पता ही नहीं। आभास तक नहीं है इसका। शायद पता करने का उपाय ही नहीं है। या है हमने कोशिश नहीं की । कारण जो भी हो पर हिला देने वाली (कई मायनों में दिल तोड़ने वाली और दिमाग के परखच्चे उड़ा देने वाली) सच्चाई का एक पहलू यह भी है कि कभी न खत्म होेन वाले हमारे सपने, साथियों के क्रब कीमत पर गढ़े गए हैं। खास हमारे लिए।

दरअसल हम
सपने देखना नहीं छोड़ते।
चाहते भी नहीं ।
प्यारे प्यारे सपने।
खुशियों से भरे ,
स्वर्ग के सपने।
हमारे और आपके सपने।
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द्वितीय विश्व युद्द की लड़ाई की कई मशहूर कहानियों और उनके पात्रोंं से आपका भी परिचय होगा। अब भला सपनों का इन कहानियों से क्या संबंध। है ना। बेहद गहरा संबंध है। आगे बताउंगा। 1944 में यूरोप की जमीन पर लड़ाई जारी थी। उस वक्त भी जर्मनी और मित्र देशों के घरों में रात की आगोश में सोएं लोग सपनो में खोए थे। इधर हालिया कारगील का युद्ध तो आपको याद होगा ना। टाइगर हिल पर हिंदुस्तानी झंडा को वापस लहराने के जारी जद्दोजहद के दौरान आप क्या कर रहे थे। मैं तो सपने देख रहा था। शायद हर रात आप भी सपने ही देख रहे होंगे। वह भी भूल चुके हैं तो दुनिया भर में जारी आंतकवाद और उससे आपको बचाने में जुटे लोगों को आप जानते ही होंगे! क्या? नहीं जानते। मैं भी बड़ा बेशर्म हूं। नहीं जानता। कितनी आसानी से हम यह बोलकर बोझ से बचने की कोशिश करते हैं।
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वापस दूसरे विश्व युद्ध पर आते हैं। यहां एक अजीब सी कहानी भी गढ़ी गई है। सेविंग प्राइवेट रयान तो याद है न आपको। नहीं है। तो जान लीजिए। फिल्म बनी हुई है। जंग की पृष्ठ भूमि पर बनाई जाने वाली मुंबइया मसाला फिल्मों से बेहद अलग इसमें सच्चाई को दिखाने का बेहद खूबसूरत और विभत्स (हां, फिल्म देखते वक्त, कई दफे यही �याल आता है जेहन में ) रूप दिया गया है। जंग की हार और एक बहादुर सैनिक के बचाने की जीत की खूनी जद्दोजहद पर अधारित यह फिल्म आपके सपनों का सही रंग आपके सामने पेश कर देगी। एकदम नंगी तस्वीर। रणभूमि की असली तस्वीर। सीधे जंग के मैदान से। तब शायद आपको यह एहसास हो (न भी हो, तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा) । अगर हो तो। समझना थोड़ा आसान रहेगा। कि क्यों मैं सपने को बोçझल बताने की हिमाकत कर रहा हूं।

(
नहीं
यह फिल्म
केवल यूहदियों के लिए नहीं है।
केवल अंगे्रजों के लिए नहीं
केवल कैथोलिक के लिए नहीं
केवल प्रोस्टेंट के लिए बिलकुल नहीं
केवल
हमारे और आपके लिए है।
उन बेगैरत किस्म के लोगों के लिए ।
जिन्हें सिर्फ अपने सपनों की परवाह है।
जहां व्यçक्तगत महत्वकाक्षाएं हावी है हमेशा
लाशों की कीमत पर भी ।
हमारे और आपकी कीमत पर
खुद की कब्र पर )
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हजारों लोगों के खून से सने है ।
आपके सपने । हमारे सपने।
इन पर कई अजनबियों के खून का
अनजान और खौफनाक साया है।
लथपथ जिस्मों और बेजान होते,
कुछ हो चुके
अंग भंग टुकड़ों के बोझ से दबे हैं
सपने खून से सने हुए हैं
हमारे सपने।
आपके सपने।
देशवासियों के सपने।
सपने तो हम मानवों के है
पर पृष्ठभूमि हैं जानवरों वाली है
आदिम एकमद आदिम
लड़ाकू, हिंसालू
मानव जाति के सपने।
खून से लथपथ सपने।
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रेड लाइट पर एक दूसरे से आगे बढ़ने के चक्कर में भिड़ जाने वाले। सौ -हजार रुपये के लिए एक दूसरे की मार-पीट करने वाले। बहादुरी की झूठी मिसाल देने वाले ,कायर और कमजोर किस्म के लोग ,सीधा कहें तो हम और आप । हमारे और आपके जैसे लोग। देश की सरहद सुरक्षित सीमाओं के बहुत अंदर, बेफि्रक होकर कैरियर की सीढ़िया चढ़ते । चलते, रूकते, खाते , सोचते और सोते हुए । संसद और देश में काबिज होते भ्रष्टाचार पर दिन रात चिंता जताते वक्त हम शायद यह भूल जाते हैं कि दुनिया में बहुत सारे लोग महज हमारी छह घंटे की निंद के लिए अपने हर पल जान पर दांव लगा देते हैं। वह न ही हमारे रिश्तेदार है। ना ही कोइ पड़ोसी। सबसे खतरनाक यह है कि हमें कभी मालूम भी नहीं पड़ता कि हमारे सपनों को बचाने के लिए हर पल न जाने कितनी जिंदगी लाशों में बदल जाती है।
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काश, ऐसा नहीं होता ।
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Monday, July 28, 2008

मेरे भाई ! तुम भी !

पहले दो बातें । `मेरे भाई ! तुम भी ! ´ की Žलॉगिया पोस्टींग के बाद मेरे पास कई फोन आए । भाई लोगों ने दो सहानुभूति भरे मेल भी भेजे हैं । बगैर चेहरे वाले एनॉनमस साहबों ने कुछ कमेंट भी बतौर भेंट भेजी हैं । जिसमें इसे बेहद गंदी और अश्लील कहानी बताकर हटा लेने को कहा गया । मुझे और मेरे ब्लॉग को गंभीर बताया गया है । जबकि इस कहानी को ओछा कहा गया । निर्णय सुनने वालों ने इसे मेरे प्रतिष्ठा या इमेज के अनुरूप नहीं होने की बात पर खूब जोर दिया है। लोक लज्जा की भरपूर दुहाई दी । कहा इसे वापस ले ले । पर मैंं ऐसा नहीं करूंगा । क्योंकि मैं सेक्स को ओछा या छोटा या हल्का फुल्का नहींं मानता । हम भलें ही इसे ज्यादा तवज्जो न देते हों पर हम इससे और यह हमसे अलग नहीं है । मैं पक्ष और विरोध से भरे सेक्स पर कोई विमर्श या बहस में नहीं पड़ना चाहता । हां इसके सर्वव्याप्त दैहीक व्याकरणों से अलग नए आयामों की बात करना जरूर चाहूंगा । और अगर आप मानते हैं कि यह सब बेकार है । सेक्स्ा के बारे में बात करना गैर गंभीर है तो एक विनम्र विनती है । उस स्थिति में सबसे बेहतर यही होगा कि इस ब्लॉग का रुख मत कीजिएगा । क्या पता उसमें कोई आपकी कहानी ही दिख जाए । उ�मीद है आप समझेंगे ।




मेरे भाई ! तुम भी !


बीती रात नोएडा में कहीं बैठा था

टाइमपास करने का मूड था

रोचक गप्पों का सुहाना दौर जारी था

निंदा रस में डूबे बातें कर , मजे लूट रहे थे

गप्प हांकने

और

हंसने- हंसाने के उस दौर में

अचानक

साथ बैठा साथी संजीदा हो उठा ।

भर्राए हुए आवाज में

हाथ उठाते हुए बोला

!!!!!! यार ! !

!! इससे तो मौत भली होगी !!!

हवा में ही अजब-गजब तरीके से हाथ हिलाते हुए उसने

कई तरह की मुद्राएं बनाई

कुछ बेहद श्लील, शालीन और

कुछ हद से ज्यादा अश्लील

कई

भद्दी भी।

आरामदायक कुर्सी पर आसन लगाए

वह पैरों को फुदकाने लगा

तेजी से उछलने लगा ।

फिर

चिल्लाया

!!! कुछ हो ही नहीं रहा है यार

` दस दिनों के अंदर इंतजाम नहीं हुआ तो मैं मर जाउंगा´

जानना चाहेंगे की वह क्या बात करना चाह रहा था । दरअसल इन दिनों वह बड़ी शिद्दत से `कुछ´ पाने की जुगत में जुटा था । जिस्मानी जरूरतों को पूरा न हो पाने की वजह से वह बेहद परेशान चल रहा था ।

दांत निपोरते हुए

हर शŽद को चबाते हुए

बोला

`सावन आने के बाद मन बहकने लगा है´

मेरे भाई

चमकती ,दमकती ,दहकती

चौड़ी होती आंखों

बताया

कई दफे, कईयों के साथ यहां-वहां कुछ कोशिश भी की।
पर पाने में कामयाब नहीं हो पाया ।

अब तुम बताओ

मुझे क्या करना चाहीए ?

महोदय का मानना है कि उनकी जिस्मानी जरूरत उनके कामकाजी दिमाग पर हावी होने लगी है । सो , उन्हें इसे पूरा करने के इंतजाम करना चाहीए । वैसे बीच में कुछ दिन बेहतर `व्यवस्था´ भी हो गई थी । सो, कुंवारों लड़कों वाली आदत भी नहीं रही। अब तो पूरा और समूचा जिस्म ही चाहीए । उन्हें । बातों बातों मेंं ही उनकी लपलपाती जीभ बाहर निकलने लगी । जैसे गर्म गोश्त , बहकते जज्बातों , उमड़ती घुमड़ती भावनाओं और फड़फड़ाते जिस्म का साथ पा लेने के मादक एहसास से सराबोर हो उठीं हो ।

कहने लगेे भाई ।

आपने इस मौसम में सेक्स किया है।

इससे पहले की कोई जबाब दे पाता

एक और सवाल उन्होंने दाग दिया

अच्छा

यह बताओ कितने दिन पहले किया था ?

मेरे मुंह खोलने से पहले ही

गजब की फुतीü दिखाते हुए

मूलाधार केंद्र से निकली उर्जा से लबरेज होकर

भाईसाहब ने हाथें भिंच ली ।

बीते दस मिनट से जारी जिस्मानी बातचीत में

पहली बार धीरे से बोलें ।

बहुत मजा आता है ना !!!

जनाब लगातार बोले जा रहे थें

बार-बार

लगातार

जिस्म !

जिस्म !!!

बेदाग जिस्म !!

मादक और मोहक जिस्म !!

समानुपाती औरताना जिस्म!!!

बस जिस्म ही बन गए थे वह

कुछ देर तक ।

फिर चुप हुए

हाथ मुंह सिकोड़ा ,

कहा
यार


कीभी जी. बी. रोड गए हो ?

तुम तो दिल्ल्ाी में बहुत दिनों से हो

कितने में मिलती है ?

कैसी मिलती है ?

यह बताओ ?

लालकिले से किधर जाना होगा ?

मुझे रास्ता मालूम था ।

है भी ।

उन्हें बताया ।

तो चौकें

कहा

मेेरे भाई !

तुम भी ? ! ? !

Sunday, July 27, 2008

जवान देश बूढ़े लोग

जवान देश बूढ़े लोग

-उन दोस्तों के लिए जो समय से पहले बूढ़े हो चले हैं

मेरे कुछ दोस्त हैं । पैदाईश की उम्र को पैमाना मानें तो माशाअल्लाह गबरू-जवान कहलाने लायक हैं । पर जवानी उन्ामें झलकती नहीं । जोश नहीं मारती । पतला वाला तीस के करीब पहुंच चुका है । मोटा दो साल पीछे है। ढलती शाम के साथ ही दोनों के कंधे झुक जाते हैं । चेहरे पर पीलापन हावी होने लगता है । बुझा-बुझा सा दिखता चेहरा चिल्ला चिल्ला कर बुढ़ापे से उनकी बढ़ती नजदीकी को बयान करते हैं ।

बात महज जवानी से दूर होते बॉडी-लैंग्वेज तक रूकी रहती तो खैर था । क्यां बताएं इन दिनों उनकी बातचीत का लहजा भी खतरनाक हो चला है । महज चार-पांच साल पुरानी नौकरी में पचास साल का अनुभव पा चुके इन दोस्तों के तर्क भी अजब गजब है । हर ओर छाई उदासी और खतरे को खुद से सबसे पहले जोड़ने लेत हैं । मुझे बहुत फिक्र है मेरे भाईयों । क्या होगा तुम दोनों का ।

उनको देख ऐसा लगता है जैसे छत के उपर मुंडेर पर काला लिहाफ ओढ़े खतरनाक बुढ़ापे का साया उन्हें लगातार पास बुला रहा है । झूलते चेहरों वाले, सफेद बालों और थकी हुई आंखों पर चश्मा लगाने वाला वह चेहरा डरा रहा है । और जवानी । जैसे दूर किसी छत पर खड़ी अलमस्त जवान औरत की तरह बन गई है। पास आने को तरसा रही है । लगातार बढ़ती दूरी का नशतर चुभा रही है ।

वैसे यह इन दो दोस्तों की बात नहीं है । ऑफिस में जुटे कामकाजी सहयोगियों पर भी ढलती हुई उम्र का असर दिखता नजर आ रहा है । मिला-जुलाकर एक बेचारगी सी झलकती है सबके चेहरे पर । लड़ने को कोई जज्बा नहीं बचा है किसी में । पैदा हो गए थें । सो किसी तरह समय काटने के लिए खा पका रहे हैं ।

सच कहूं तो गहरे अर्थों में यह मुल्क भी बूढ़ा हो चला है । समय से पहले रिटायरमेंट प्राप्त कर चुका बुजूआü मुल्क । विश्वास नहीं होता हो , अपने करीब मौजूद किसी छोटे बच्चे से सवाल पूछीए । जिंदगी और मौत के बारे में उसके विचार जानने की कोशिश कीजिए । उससे तीन गुणे ज्यादा उम्र का पढ़ा लिखा विदेशी भी उतना नहीं बता पाएगा । जितना हमारे देश का छोटा बच्चा जिंदगी और मौत के बारे में अधिकार भाव से बोलता नजर आएगा ।
आप शायद इसे संस्कारों की संज्ञा देंगे । पर मैं इसमें खो गए बचपन की बालपन को देखता हूं । खेलने कूदने की उम्र में ही गंभीर हो चला है । तत्व ज्ञान जैसी बातें करता है। और हम मुग्ध हैं । वाह! इट हैपेन्स ओनली इन इंडिया ।

मैने सुना था कि आबादी के उम्र के लिहाज से भारत एक युवा देश है । देश की साठ फीसदी आबादी जवान कहलाने लायक है । हां उम्र के पैमाने पर सही है । पर दिमागी तौर पर सब के सब मौत का इंतजार करती हुई एक बेचारी भीड़ से ज्यादा कुछ नहीं है । मामला चाहे कोई भी हो । कोई लहर पैदा नहीं होती । संसद में पैसे लेकर सरकार गिराने की बात हो । बंगलुरु या अहमदाबाद में बम Žलॉस्ट की बात हो । सड़क खराब हो जाने की बात हो । या सरेशाम किसी युवति की इज्जत के साथ होने वाले खिलवाड़ की बात हो । हम पर कोई असर नहीं पड़ता । जब तक हम सुरक्षित हैं । हमें परवाह ही नहीं । आखिर हम जवान जो ठहरे ! इंडिया इज यंग ! ! ! !

जानता हूं अभी भी यकिन नहीं आता होगा । मान ही नहीं सकते । विश्व गुरू रह चुके हैं हम । ऐसे कैसे मान लेंगे । मैंने कहा और मान लें । अरे मैं कौन हूं । एक छोटा प्रयोग करके देखीए । देश और दुनिया में जुड़ी बातों पर लोगों के विचार सुनिए । खाट पर पड़े चर चर करने वाले बुढ़ापा राग और निंदा रस में डूबी व्या�याओं के अलावा कुछ और नहीं दिखेगा । एक भी आदमी ऐसा नहीं दिखता या बोलता कि हम नया क्या कर सकते हैं। पता नहीं क्यों उम्र से जवान लोग भी जवानी की भाषा भूल गए हैंं ।

हर मोड़ पर । हर चेहरे पर एक लाचारी दिखती है । बस यूं ही घीसटते रहने की लाचारी । कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है । यही नहीं कोई आगे बढ़े तो एक दो नहीं चालीस लोग उसे रोकने को आगे आ जाते हैं । मां-बाप रोकते हैं । भाई बहन लगाम लगा देतेे हैं । दोस्त समाज सब जुट जाते हैं । अरे रोको इसे । यह पागल है जवानी की बात करता है । अरे कुछ नहीं होगा । बहुत आए और बहुत गए ।

बसों में सफर करते वक्त आस पास लोगों के चेहरे देखीएगा । एक बेचारगी सी दिखेगी । सबके चेहरे पर सम भाव बेचारगी । साथ साथ लटके रहने का भाव । उ�मीद बस दो ही है । किसी तरह पास वाली सीट पर बैठने का अवसर मिल जाए । या जल्दी बस स्टॉप आ जाए ।

बूढ़ा मुल्क और सोच भी क्या सकता है । मजेदार बात यह है कि लोग तर्क खोज लेते हैं । तर्क के रंग से बाल काले करने का प्रयास करते हैं । कहते हैं कि देखों जिंदगी ऐसे ही चलती है भाई । देखो बाल काले हैं हमारे । जवानी बची है यार । थोथे तर्क । पर कमजोर हाथों में भारी तलवार कितनी देर टिकती है । खुद ही सर या पांव पर दे मारते हैं हम सारे ।

अपने एक बुढ़ाते दोस्त के छोटे भाई की कहानी सुनाऊं आपको । जिंदगी और मौत के बारे में अधिकार भाव से बोलते नजर आते हैं । नौकरी जो करते हैं उसकी फिक्र कम है । जज्बा नहीं पेट भरने का रूटीन है । बेहतर तरीके से कैसे काम करते हैं यह पूछते ही चुप हो जाते हैं । पर जिंदगी और मौत पर चर्चा छेड़ीए कि उनका व्या�यान शुरू हो जाता है । मेरी एक महिला मित्र हैं। हां, वाकई हैं । उनकी छोटी बहन भी है । एक दिन शुरू हो गइंü । जिंदगी और जिंदगी के बाद की जिंदगी पर । उनकी रूचि देखकर मैं भी दंग रह गया । पूछा, जिंदगी को कौन सी दिशा देना चाहती है । बोलीं , होय वही जो राम रची राखा। अब ऐसे लोगों से हम जवानी की उ�मीद क्या करें । होय वहीं , जो राम रची राखा। हां अधूरा छोड़कर लिखना बंद कर रहा हूं । बाकी जल्द ही । किस्तों में । यहीं ।

जिन्दगी न जाने किस मोड़ पर ले आयी है,

विक्क्सों भाई की हट ट्रिक




जिन्दगी न जाने किस मोड़ पर ले आयी है,
अब तो अपने भी बेगाने से लगने लगे हैं...
मन मन्दिर में बिठाकर जिन्हें पूजा था मैंने,
उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.....
दिल का करार न जाने कहां खो गया है,
लेकिन एक वो है कि उन्हें अब लौटना गवारा नहीं....
एक छोटा सा सफ़र दर्द का सैलाब बन जाएगा,
मुझे इस बात का एहसास नहीं था.....
उनका ख़्याल आते ही जहन में पुरानी यादें एक बार फिर से ताज़ा हो जाती हैं,
समय के साथ उनमें भी फर्क आ गया है....
पहले यादों के साथ चेहरा खिल उठता था,
आज वही यादें नश्तर चुभने का काम करने लगी हैं....
तनहा जीना मुमकिन सा लगने लगा है,
अब तो ऐसा लगने लगा है कि उनकी याद में मेरे जीवन कि डोर टूटती जा रही है........

Friday, July 4, 2008

खबरों की डुगडुगी

खबरों की डुगडुगी
खबरिया जगत में कई कैरेक्‍टर होते हैं. खबरों को लेकर उनकी सोच एक खास किस्‍म की होती है.कई बार इन बडे लोगों का व्‍यक्तिव का असर उनके संस्‍थान पर भी दिखने लगाता है. यहां पेश की जा रही कहानी मीडिया की नई सोच रखने वाले एक ऐसे ही संपादक की कहानी है.जो खबरों को एक खास नजर से देखता है. एक संपादक के अलावा वह एक मालिक का नौकर भी है. जिसका काम अखबार बेचना और अपनी टीम के लोगों की नौकरी बचाए रखना भी है.तो लीजिए पेश है खबरों को तय करने की प्रक्रिया से जुडी एक कहानी वह भी बिलकुल नए अंदाज में. यहां यह बताना जरूरी है कि यह कोई व्‍यक्तिगत कहानी नहीं है और ना ही इस कहानी से मीडिया जगत में किसी को कुछ संदेश देने की कोशिश है.यह घटनाक्रम को एक अलग नजर से देखने की कोशिश मात्र है पसंद आए तो बताइएगा जरूर
शुक्रिया
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खबरों की डुगडुगी
समय सुबह 10:25 बजे स्‍थान एक बडा अखबार का भव्‍य कार्यालय, बाहर से बेहद आलीशान दिखने वाले इस आफि‍स के तीसरे माले पर मीटिंग रूम तेजी से खुलते और बंद होते दरवाजों से अखबार के विभिन्‍न्‍ा एडिशनों में काम करने वाले बडे और नामी गिरामी संपादक पहुंच रहे हैंसबके हाथों में फाइल, कंधे पर लैपटाप, चेहरे पे तनाव और माथे पर पसीना झलक रहा हैअंदर आते ही हाय, हलो बोलकर सब जल्‍दी से लैपटॉप ऑन करने में जुटे हैं कोने में बैठा एक यूनीट का स्‍थानीय संपादक शांत है और सबकी हरकतों को गौर से देख रहा है
10:30 पर उन तमाम संपादकों का से भी बडा संपादक कक्ष में दाखिल होता है
तेज नजरों से वह सबकी ओर देख कर आंखों से ही बैठ जाने का ईशारा करता है
(यहां यह बताना जरूरी है कि इस म‍ीडिया संस्‍थान में इस बडे संपादक की तूती बोलती है, अखबार में उसकी मर्जी के बगैर कुछ नहीं छपता, एक आदमी भी इधर से उधर नहीं किया जा सकता, मीडिया जगत में अनोखी हरकतों के कारण यह संपादक बेहद चर्चित व्‍यक्ति रहा है, उसे पारंपरिक अंदाज में काम करने की आदत नहीं है,कभी तेज बोलता,अट़टाहास करता,तो कभी तमाम संपादकों को हिंदी की मशहूर और सर्वसुलभ गालियों से भी नवाजता......)
बहरहाल वापस वहीं लौटते हैा
बिग बॉस को आया देख पहल सब खडे हो गए और बाद बैठ गए . कुछ अभी भी रूमाल से चेहरा पोछते रहे थे
तभी .. .
बैठते ही बडा संपादक चिल्‍लाया
क्‍या अखबार निकाला है.?
ऐसे भला कहीं काम होता है क्‍या. !!!!
आखिर कब सुधरेंगे आप लोग !!!!
सन्‍नाटा सा पसर गया एकाएक
सब शांत हो गए.
कुछ की घिघगी बन गई,,,
तभी
बडे वाला संपादक हसा.......
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा !!!!!@@@@!!!!!!!
बाकी संपादक चोरी से एक दूसरे की शक्‍ल देखने लगे @@@@@
हा हा हा हा हा हंसी लगातार तेज होती जा रही थी
जमूरे..
जमूरेएएएएए.....
जमूरेएएएएएएएएएए......
सब समझे और सब एक साथ चिल्‍लाए
उस्‍ततााााााााााााााद .....
क्‍या खबर लाए हो संपादकों
बारी बारी से बताओ
लाल शर्ट वाले पडोसी राज्‍य के स्‍थानीय संपादक की ओर पहला इशारा हुआ
और ठाकुर क्‍या खबर है आज
उस्‍ताद
वह हमारे यहां आज सुबह सडक दुर्घटना हुई है .
चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
हमारे यहां आज मेन लीड इसे बना सकते हैं;
रिपोर्टर लगा दिए हैं. कई साइड स्‍टोरी भी होगी
अच्‍छा यह बताओ उनकी प्रोफाइल क्‍या है बडे वाले संपादक ने पूछा
जी सर मीडिल क्‍लास के हैं घर में एक ही कमाने वाला था वह भी दुर्घटना में मर गया
हमममम
यह क्‍या बकवास है बडे वाला चिल्‍ला उठा
कितने दिनों से कह रहा हूं हमें अपमार्केट खबर चाहिए
अखबार गरीब लोग नहीं पढते.....
ठाकुर साहब और यह जो लाल रंग का शर्ट आप पहन कर आएं है वह भी ......
वह फ‍िर चिल्‍लाया
और पंडत जी आपके इलाके का क्‍या हाल है क्‍या बेचेगो आप
उसने कहा कि हमारे यहां आज कुछ बडे नेता पहुंच रहे हैं प्रदर्शनी में भाग लेने आ रहे हैं
बडे वाले बिफर पडे
आप लोगों को समझते समझते उम्र गुजर जाएगी ...
यह अखबार है नेताओं के दलाली का अड़डा नहीं...
आप लोगों से कुछ नहीं होगा.... घर चले जाओ...
काशी में मकान बनवा लीजिए आप.....बुढापे का इंतजाम कीजिए...
बांयी हाथ की ओर गुलाबी शर्ट पहने स्‍थानीय यूनीट का संपादक अभी भी शांत था.
उसके चेहरे पर एक मुस्‍कान तैर रही थी..
कुछ कहने का मौका खोज रहे थे
बडे वाले ने ताड लिया
बोलिए मिसिर जी
जी सर बडी खबर यह है कि संबानी परिवार के मुखिया का प्‍यारा विदेशी कुत्‍ता मर गया है,
साहब विदेश दौरा कैंसल कर लौट रहे है
कोई पांच लाख का कुत्‍ता था, उसका अंतिम संस्‍कार होगा,
चैनलों पर यही लाइव चल रहा है
मेरे रिपोर्टर भी वहां उनके बंगले के बाहर तैनात हैं
अपमार्केट जगत से आज इस पर खूब चर्चा हो रही है
हम्‍मम
मुस्‍कुराए
पठनीयता है इसमें
बेची जा सकती है यह खबर
और संबानी साहब की ओर से हमें हर साल करोडों का विज्ञापन मिलता है इसे लीड बनाया जाए
.....
कुछ देर बाद बैठक समाप्‍त हो जाती है
.....
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उधर टेलीविजन चैनलों पर कुत्‍ते के मौत को लेकर हाय तौब मची हुई थी
कुछ "शोक में संबानी" तो कुछ चैनल "संबानी का साहब" जैसे कैच वर्ड के साथ खबर चला रहे थे
तेज चैनल पर उस कुत्‍ते और संबानी साहब की पुरानी तस्‍वीर को एक्‍सक्‍लूसीव बनाकर दिखाया जा रहा था
वहीं खुद को गंभीर खबरों के लिए मशहूर चैनल पर कुछ पशु विशेषज्ञों से बातचीत की जा रह रही थी
एक तीसरे चैनल पर मशहूर फ‍िल्‍मी हस्तियों के पालतू कुत्‍तों से प्रेम की खबर प्रसारित हो रही थी
जबकि एक और चैनल दुनिया के कुत्‍तो और उस खास कुत्‍ते के ब्रीड पर खबर दिखा रहा था
इस बीच
एक चैनल पर ब्रेकिंग न्‍यूज दिखी
"संबानी भारत पहुंचे "
मुंबई एयरपोर्ट से उतरते संबानी का फुटेज दिखाया गया
आधे स्‍क्रीन पर उस कुत्‍ते के साथ खेलने में जुटे संबानी साहब के पुराने विजुअल फाइल शिर्षक से दिखाए जा रहे थे
संवाददाता की आवाज गूंजी
" संबानी साहब भारत पहुंच गए हैं . जैसा की आप जानते हैं कि अपने पालतू कुत्‍ते
और घर के सबसे अहम सदस्‍यों में शामिल "शान" की मौत पर संबानी परिवार को
गहरा धक्‍का लगा है .... शान की मौत की खबर को सुनकर
संबानी ने सारे कामकाज छोड भारत लौटने का फैसला लिया.....
..एयरपोर्ट से सीधे वह अपने घर जाएंगे ...परिवार वालों से मिलेंगे ...
और कुत्‍ते को अंतिम विदा देंगे
आईए हम जानते हैं खुद संबानी साहब से कि उन्‍हें कैसा लग रहा है
" संबानी साहब शान के जाने के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं ? "
"संबानी साहब" "संबानी साहब" "संबानी सा हब" "संबानी सा ह ब"
भीड में उस संवाददाता की आवाज गुम हो गई
टीवी एंकर सतर्क हो बोला लगता है "संपर्क टूट गया है" हम वापस लौटेंगे हमारे संवाददाता के पास जो एयरपोर्ट पर मौजूद है
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दूसरे चैनल पर ब्रेकिंग न्‍यूज थी
संबानी अपने बंगले पहुंचे
यहां घर के अंदर का दश्‍य दिखाया जा रहा था
शान के शव सफेद चादर में लिपटा था
परिवार के सदस्‍य आंखों पर काला चश्‍मा लगाए मौजूद थे
संवाददात की आवाज विजुअल के साथ
स्‍क्रीन पर एक्‍सक्‍लूसीव बोल्‍ड और लाल अक्षरों में
"जैसा की आप देख सकते हैं यहां खामोशी है. पूरा परिवार सदमें है. संबानी परिवार के लोग उसे घर का सदस्‍य मानते थे"
इस बीच बडी काली गाडी में सवार संबानी साहब वहां पहुंचे
संवाददाता शांत हो चुका था, टीवी एंकर बोलना शुरू कर चुका था,
"जैसा की आप देख सकते है संबानी साहब वहां पहुंच चुके हैं"
यह पोर्टिको में गाडी से उतरते हुए संबानी साहब,,
सामने उनके भाई राहत संबानी दिख रहे हैं,
साथ में हल्‍के हरे सूट पहने हुए उनकी पत्‍नी भी वहां मौजूद है
संबानी को कैमरा फॉलो कर रहा है
शान के पास जाकर वह उसके सर को छूते हैं
अभी वक्‍त हो चला है एक ब्रेक का ..
ब्रेक के बाद जारी रहेगा संबानी की कहानी. हम बताना चाहेंगे की संबानी साहब के घर के अंदर
केवल हमारा चैनल ही पहुंच पाया है...
म्‍यूजीक...पर्दे पर "सदमें में संबानी" दिखता है ....
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अरे मिसिर जी यह बातएं कि
यह कुत्‍ते की केस हिस्‍टी क्‍या है
गुलाबी शर्ट वाले संपादक बडे वाले संपादक के कमरे में बैठ कर चाय पी रहे थे
सामने टीवी एक विशाल स्‍क्रीन पर चार चैनलों पर खबर चल रही थी
हालांकि आवाज एक ही आ रही थी
मध्‍यम आवाज करीब करीब फुस्‍फुसाहट सी
सर वह यह कुत्‍ता कभी
ब्रिटेन राजमहल में रहता था
अच्‍छा
जी एलिजाबेथ की सबसे प्‍यारी कुतिया इसकी बहन है
ओह
हां और अब तक यह चैनल वाले पता हीं नहीं कर पाएं है
हा हा हा
एलिजाबेथ की कुतिया की बहन हम्‍म्‍म्‍म , हम जो सोच रहे हैं उससे भी बडा मामला हो सकता है
आप नए जमाने की खबरों को खूब समझते हैं म‍िसिर जी
यही वजह है आपको हमने लोकल यूनीट का इंचार्ज बना रखा है
वैसे मालिक भी आपके काम से खुश है
वो आपने ...
जी जी समझ गया
सर तो मैं चलूं
हां मिसिर जी
शाम तक कोई और घटना नहीं घटी तो यही बडी खबर बन सकती है
वैसे एक बात बताएं
यह गुलाबी शर्ट कहां से लिया,किते का है
सर वो यू ही....
चेहरे पर मुस्‍कान और बॉस का विश्‍वास कंधों पर लिए मिसिर जी चेंबर के बाहर हो लिए
उधर चैनलों पर जूतमपैजार की नौबत आ चुकी थी
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बडे बास के चेंबर से संपादक जी को निकलता देख
स्‍थानीय ब्‍यूरो के रिपोर्टर सतर्क हो गए थे
वह सीधे रिपोर्टरों के पास पहुंचे
और कहा कि संबानी का कुत्‍ता कोई मामूली कुत्‍ता नहीं है
वह आज की सबसे बडी खबर है
मुझे हर पहलू पर खबर चाहिए
कब आया, कहां से आया, भारत में हर साल कितने कुत्‍ते विदेशों से मंगाए जाते हैं
खरीदता कौन है कैसे पालते हैं विदेशी और भारतीय मालिकों में बेहतर कौन है पैकेज चाहिए सब पर
याद रखों सात बजे तक सारी खबर मेरे पास होनी चाहिए,,,
वहां संबानी के बंगले पर कौन गया है
सर वो सुमन गई है
सुमन उस लडकी को क्‍यों भेज दिया
सर उसने पहले भी कुत्‍तों पर कई स्‍टोरी की है
इसलिए भेज दिया
वैसे एक रिपोर्टर स्‍टॉक बाजार भेजे
दूसरे को पेट शॉप पर भेजों देखों आज पेट क्‍लीनिक में आने वाले कुत्‍तों की संख्‍या रोजाना से कितने फीसदी ज्‍यादा रही
जी सर
और हां
शाम सात बजे तक सारी खबरें मिल जाएं
सब रिपोर्टर रवाना हो गए
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साला संपादक जी सठीया गए है
अब हम कुत्‍तों की खबर करेंगे और क्‍या
पता नहीं अखबार का क्‍या होगा
यह मालिक की आंखें बंद क्‍यों हो गई है
साला चुतिया बना रहे है उसे लोग
इसे दिखता नहीं क्‍या
बाहर निकले रिपोर्टर कुछ ऐसे ही बात कर रहे थे
आओ गौरव
सिगरेट पीते हैं
अब आप ही बताइए गौरव क्‍या करें
कुछ नहीं यार शांत हो जाओ सौरभ मेरे भाई
यह दुनिया ऐसे ही चलती रहेगी
हम यहां काम करने आए है
सौरभ ने हामी जातई
हां हलवाईं हैं हम...जैसा कहोगे वैसा ही खाना बनाएंगे.
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उधर चैनलों पर कुत्‍ते से जुडी बाते बताई जा रही थी
अचानक जानवर विशेषज्ञों की कमी सी हो गई थी
सो रिपोर्टर और एंकर सुबह की रटी रटाई बातों को दोहरा रहे थे
आपका कुत्‍ता हमारा कुत्‍ता संबानी का कुत्‍ता हर ओर कुत्‍ते दिखाई पड रहे थे
विज्ञापनों में भी कई कुत्‍ते अचानक से उभर कर बाहर आने लगे थे
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शाम पांच बजे का वक्‍त हो चला होगा
सूरज की रोशनी हल्‍की होना शुरू हो गई थी
हर की एक गली में दो बच्‍चे मजाक कर रहे थे अरे यार
तेरी शक्‍ल तो शान से मिलती है वे
अरे साला ऐसी किस्‍मत मेरी कहां
संबानी का कुत्‍ता है साला
मर गया तो देश जान गया
बेटा
टीवी में दिखा रहे हैं सारे चैनल वाले
एसी कमरा था उसका
दो नौकर थे तुम्‍हारे जैसे
रेड मीट नहीं खाता था
संबानी जब भी भारत में होते उसे खुद ही खाना खिलाते थे
झूठ दिखाते है
तीसरा दोस्‍त जबरन उनकी बहस में शामिल हुआ
बोला साले कोई भी समझदार आदमी के पास बीबी को खाना खिलाने का वक्‍त नहीं होता
वह क्‍या कुत्‍ते को खिलाता होगा ,,, यह साले चैनल वाले भी हमें चुतिया बना रहे हैं
झूठे साले
हा यार बाकी दोनों सहमती में सर उठाते हैं
गौरव इन तीनों की बात सुन रहा था
तभी मोबाइल पर उसकी गर्ल फ्रेंड का फोन आया
कहां हो
कुते के पीछे
कुत्‍ते के पीछे कौन तुम या तुम्‍हारे पीछे कुत्‍ता पडा है सही से बताओ यार

( आगे जारी रहेगा...)

Thursday, July 3, 2008

इंतज़ार

विकसन भाई लगातार लिख रहे हैं । लगता है कभी ख़ुद खबर लिखने वाले इस सज्जन की कविताओं पर खबर या आलेख लिखने का समय करीब आ गया है। हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ हैं। पेश है उनकी एक और रचना खास गुलज़ारबाग पर ।


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ऐसी चोट खाई है दिल पर कि अब तो,


दर्द का अहसास भी जाने लगा है..


तुम्हारा इंतज़ार करना मेरी आदत हो गई है,


पर दिल यह बात मानने को तैयार ही नहीं है..


कि शायद तुम अब कभी नहीं आओगे,


तुम्हारे आने के इंतज़ार में जैसे-तैसे दिन तो कट जाता है..


पर शाम होते ही हसरतें एक बार फिर से अंगड़ाई लेने लगती हैं,


रात इतनी लम्बी व तनहा होती है..


कि उसे करवट लेकर काटना भी मुश्किल हो जाता है,


दिल ने भी अब जवाब देना बंद कर दिया है..


शायद उसे भी नहीं पता,


कि में कौन सा रिश्ता निभाने के लिए


यह सारी ज़द्दोज़हद कर रहा हूं..


Monday, June 30, 2008

तेरा ख्याल

अपनी फितरत.....
अपनी फितरत तो बचपन से ऐसी रही की जहां खूबसूरती देखी, संजीदा हो गए। अगर मैं कहूं की ६० साल की एक टीचर जो रिटाइयर्मेंट के करीब थी। उनकी अदाओं पैर बड़ी शिद्दत से एक गजल लिखी, तो कोई भी बेसाख्ता होकर हसने लगेगा किसी की हँसी और खुशी से मुझे कोई एतराज नही है, आज कल तो जमाना ही चीनी कम का है

गजल की खासियत यह है की अध्यापिका की उम्र को नजर अंदाज कर दिया गया है और ढलती उम्र में उनकी जवां दिल कों पेश किया गया है। जो लरजिश उनकी चाल में दिखती है, वही सोलवें सावन के यौवन में मिलती है। बस नजर चाहिए देखने वाली। कोई भी मिले, बड़ी सच्चाई से स्वागत किया जाता है। वह उम्र में मेरी मां से बड़ी हैं, लेकिन विचारों में शायद आज भी वह तनाव में जूझती जवानी से भी जवान हैं। उनका इरादा कर गुजेरने का और हर तरफ खुशियां बिखेरने का रहा।

लाखों बच्चों कों कानपूर के पंडित पृथ्वी नाथ कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाकर उन्होंने इस काबिल बना दिया की वह दुनिया में नाम कर रहे हैं। सच्चाई उनके कर्तव्य में हमेशा जीवित रही, शायद यही वजह है की वह आज भी इतनी जीवंत हैं। पेश है आदरणीय सरोल बाला मैम पर गजल


पीयूष पांडेय (राजा)
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तेरा ख्याल
जिस्म की बात कारूं तो मैं काफ़िर ..........
जोशाये-दुनिया जवां है,
तेरे ख्याल से खम से
शब को स्याह किया है
नजरें समंदर चुरा गई हैं
लब पे पोशिदा अदाए कातिल
रुख्सारों पर एक बात नई है
जिस्म की बात कारूं तो मैं काफ़िर ..........
लर्जिशे मीना खुदा कयामत
एक इंसान दीवाना हो गया
अब शहर मे बाकी कहाँ अंधेरा
हर दिल में उम्मीदें चरागां जल गया है
जिस्म की बात कारूं तो मैं काफ़िर ..........

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Tuesday, June 24, 2008

उसे पाने की ख्वाइश में यह जिंदगी तमाम होगी........

विक्स्न भाई कभी पत्रकार थे. संगीत के शौक की वजह से उन्होने पेशा-ए-कलम को विदा कह दिया. पर भाई साहब लिखते बहुत खूब हैं.पेश है उनकी कलम से निकला ताज़ा तरीन नगमा ।

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उसे पाने की ख्वाइश में यह जिंदगी तमाम होगी........
क्या पता उसकी क्या मजबूरी होगी..
पर सच तो यह है कि मेरी सांसों से उसकी खुशबू अब कभी जुदा न होगी..
चाहता तो हूं उसे भुलाना मैं
लेकिन कमबख्त दिल के दरवाजे पर वो हर रोज दस्तक दे जाती है..
समझ में नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूं..
उसके इंतज़ार का सफर इतना लम्बा हो गया है
कि हर दिल अजीज साथ छोड़ता जा रहा है..
शायद यही वजह है कि दिल से बार बार पूँछता हूं
कि तू ही बता ए दिल मैं क्या करूं..
मेरा जीना मुश्किल मरना और भी मुश्किल हो गया है...
अब तो लगता है कि उसे पाने की ख्वाइश में ही यह जिंदगी तमाम होगी....

Saturday, June 14, 2008

"I Am In LOVE...!!!"

I AM IN LOVE……!!!


Have you ever faced this question in your life:-“Am I in Love?”
And have you ever got the answer muttering in your heart:-“Yes I Am In Love.”
Love does happens. It is the feeling, an emotion created beyond your hold.
In Love we find assertiveness, i.e., the ability to express your emotions and needs without violating other rights and in the same time without being aggressive.
If define in romantic way:- “It is the Heaven and Hell of Joy and Sorrow for Two Fevering Soul, always waiting with hope-tears or smiles?”

But how you can say that you are in love or not? How you can determine that you are in true love or not? How you can find the signals of Love? And how can you get the answer to mutter in your heart-“I Am In Love….!!!”

Love can be divided into three phase:-
1) Starting Phase- Means Attraction Phase
2) Middle Phase:- Means Understanding Phase
3) End Phase:- Means Deciding Phase
It is the nature or attitude of a person which describes his/her liking. If something matches to your nature, either your taste, your emotional passiveness, your own perception, your thoughts, or anything, you start inclining towards it. It’s your attitude which gives you power for acceptance. In Love nature of a person plays a great role in its each and every phase.

1) STARTING PHASE:-
An Attraction Phase। I।e। to say you get attracted towards someone or vice versa. It’s the beginning of Love. It is also a recognition phase. I.e. you get recognized by someone or you recognize someone interested in you. Starting phase could be sub divided into three phase, to understand it more clearly. They are:-

Love At first Sight:- The most wonder of your life. The attraction starts for someone whom you have first seen (or just seen) or met in your life.
You see someone and your heart gets blossoms with the fragrance of love. Your heart and mind starts sounding like the rain drops. At that time you feel discovering the new horizon, the new dawn of happiness.
Here your nature plays the role. Your attitude to perceive anything. Love at first sight means you get attracted to someone all of the sudden which may be due to his/her:-
1) Beautiful face
2) Beautiful eyes
3) Physical appearance- shape of body, dressing sense, etc
4) Hair style
5) Overall presence or any other aspects of his/her
Suppose a boy passes through a bus stop. All of the sudden he sees a girl waiting for the bus all alone in herself. He stops. He tries to hide himself, but his eye keeps her watching.
Her long hair scatters on her face and she is always trying to unveil herself from that scattered hair. And the boy is still watching ……………
The bus stops. She steps forward to catch the bus. The heart beats of boy increases. “This could be the last view of her” , he thinks.
She steps ahead and ahead, and all of the sudden she looks back. The moment her eye line matches with boy, everything stops for him.
The boy fond again on the same bus stand next day………………….

Love by attachment :-
It also means love by togetherness। Everyone requires someone in their life who can understand his/her feelings. If you find someone who cares for you, you get attached. The attachments could be due to anything- May be some situational requirements, like, due to some work, due to study, due to mutual sharing of something etc. The main theme is that you are in regular touch with him/her for any reason (but not due to love).
You get attach to them who matches your nature or attitude. And this attachment really felt in the absence of any of the two. This is the point where you discover first that this attachment was not really meant for any cause but more than this. This is how you discover your first love to him/her, being together or say living together.
Attachment simply means emotional bonding between two souls.

Negative Attraction:- You hate someone because you do not like his/her attitude. Your views or ideas always clashes with him/her. The behavior always irritates you. But due to some circumstances you tend to live with him/her. You tend to come across to him/her for some reason or not.
But even, though you explore one day that you are in love with him/her. It happens because you always keep that person in your mind to show your supremacy and at that time when you find any positive assertiveness, you’re negative thoughts changes into positive and that time you discover love for him/her.
In the negative attraction you find your love from all the unwilling behavior in your partner in beforehand. So, when you discover your love in him/her their remains the less chances of clashes in future because you already have known the weak points in your partner.
These were the starting phase of love। Now what are the Love Signals? How you can differentiate others from someone who is taking interest in you or either you are talking interest in someone?
The solution is Body Language. By this you can get the answers of these questions.
A research was done at the University of Pennsylvania to determine to what extent does a person’s body language affects the impression that people from of him/her. The shocking result was that people build their impression about you based on:

55% gestures, postures and movements.
38% on the tone of your voice (tempo and frequency).
Only 7% on what you say.

That is a total of 93 percent for body language (which comprises bodily gestures and tone voice) and only 7 percent for spoken words. This means that 93 percent of what you say is not uttered in words but shown in your body language and gestures.
This is because whenever there is change in emotions, there is a corresponding change in gestures and the tone of voice.

LOVE SIGNALS

Smile:- If you are speaking or talking to something in the presence of that person who takes interest in you, you will find long lasting smile on his/her face even there is no good reason to smile. Remember, only fake smile fade away quickly. True smile stays tend to linger a little longer. So, smile will not fade away quickly even there is no good reason to smile in the case of person taking interest in you.

Cancellation of plans:- There is no important work in this world beside meeting the someone you are interest in. This symptom could easily be seen in the case of person attracted to you.

Calling for no reason:- I think, this need not to explain. You can easily understand what the sign means.

Private distance:- There is a circle which you made around you to maintain the distance with others. But you keep smaller distance if interested in someone or vice versa. One who develops feeling for you always tries to break that circle you have made around you and always tries to remain closer always to you.

Caring:- Caring your friends and becoming more nice to them is strong point in this context.
This is what someone tries to show you how caring he/she is by caring your near ones.
Positive Evaluation:- In body language rubbing your brows with your fingers mean that you positively evaluated something. The one interested in you always tries to lure your attraction. Like he/she adjusts his/her eye glasses ten times, only one time may worth to do so.

Orientation:-
Orienting himself/herself in your direction even if they were standing parallel to yours and with their toes pointing towards you।

If there is some distance between you and him/her, you will see- even though he or she tends to talking with the group, his or her body sign is towards you.

Nice or cold:- Being nice one day and ignoring one day is the most common symptom you will find in your interested one. He/she likes to remain with you but when he/she finds that there happens more enough to show what is in the heart, the next starts ignoring and again nice another day.

Everywhere:- Meeting simply which seem happens to be coincidence is another sign you can find with someone who has something for you in his/her heart.

Where are You?:- One who loves you will try to keep you within their range or sight. In this condition the question is always being heard- where are you?

These are the sign you could have already being experienced. If not, then from now you can start observing.

2) MIDDLE PHASE:-

The time when you already have discovered that you are in love. The time you all ready know your dream partner. This is the time you start exploring each other. You start experiencing the inner sense. Now the phrases like “ I Love You” or “I Can’t Live Without You” are being exchanged. The whole world of two fevering soul, now only revolves around each other. This is the time you feel secure because you find one to stand with you, if needed. This is the time you start giving words to your feelings. This is the time promises are being made. This is the time your whole world becomes- The Memorable.
Here you will find no logic behind any of your action. You will only feel to remain always with him or her. This is what you can say is the understanding phase because you try to find out likes and dislikes of each other.
This is the time you enjoy the true sensation of LOVE.

3) END PHASE:-

This is the deciding phase, the phase which puts questions on your love.
What will be the end of your story? Are you going to live together forever? Are you going to compromise with the situations? Will you come out of every obstacle and will win this battle of love? Will there be smile or tears forever?
These are the questions which remain always in the front of the love birds. These are the questions which are being faced at this point. Both the hearts now seems to be busy with finding the answers of these questions.
Now their faces look faded most of the time. This is the where both the love birds impetus themselves to keep the promises they had made at the beginning.
How and what the solution will be totally depended on the both hearts.

SIDE EFFECT

The only side effect which I see is Addiction in Love.
We all know that getting addicted to any thing is wrong, the too we get stuck with one or two.
Addiction in love could be seen in two conditions.
When you are living with your partner you get addicted with his/her presence.
Second, even though you are not with your partner you remain addicted with him/her.
In the first condition we experience emotional bonding but in second case we experience sentimental bonding.
But why do we get addicted to the relation?
Getting addicted to the chemical Phenyl ethylamine (PEA) which is the chemical generated when experiencing love and it’s the chemical responsible for the feelings of excitement you feel when you are in relation. Being down or having problems makes the PEA tastes so sweet and so you can easily get addicted to it.

Getting addicted to the nurturing you are receiving from your partner (finding someone who cares about you, asks about you..etc.)

Getting addicted to exchanging phrases like “I Love You” or “I can’t Live Without You”.

One who compromises with the situation or get diverted to the another part of live , may be getting another partner comes easily out of the addiction.
But some finds no easy to overcome from his/her experience. When they get separated for any reason, comes in trauma. Now, they find no easy to overcome from those memorable parts of live. They feel experiencing the same love, even though there is no one to care about. This addiction is subject to a mental illness.


BEWARE

While picking a partner you must consider yourself that you are wise enough to chose a right one. But then too keep some points in mind:
Beware of the person you fall in love with in Troubled Time.
If someone helps you during your most painful time and you get emotional for this act of his/her. Restrict yourself to increase the length of your emotion and to get fall in love.
Just be only thankful for his/her great help. Because a relation developed in trouble lasts even in trouble.

Do not pick the partner who cannot sustain the personal changes of yours. Select the one who even loves your changes. Because changing is the nature of human being and one who always try to put barriers to your freedom can only last the relation on clashes.

Don’t fall when you only just need. Select the one when you are in great time.
The relation made during the time of your most joyful moments of live always end with smiles.

Understand the difference between Love and Relationship dependency. This is the only way you can avoid falling in trap of loving someone just because you need him/her.


Love is a cute and sweet experience of life which demands no logic for its occurrence. We love someone for our cause only. We feel ourselves in excitement, energetic and pure when we love someone. So, you love for your own cause and not for the other.
Love does not demand sacrifice(s); it demands only Love for love.
Written by- dimagless

(The article is the original work of self experience and logical evaluation. Only some technical side of it has been referred to some research work, or other material.
Publishing of this article without any permission from the writer would be subject to a copy right act infringement.
You can ask your queries and are free to answer any)

Thursday, March 6, 2008

शुक्रिया बाला साहब

सबसे पहले बहुत शुक्रिया आपका बाला साहब ठाकरे।
राज ठाकरे जी का भी धन्‍यवाद .
साथ ही आभारी हूं महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना का ।
इन लोगों के बहुत एहसान हैं।
खासकर हम बिहारियों पर
दरअसल पहले मैं बिहारी हुआ करता था।
ठोस खालिस देसी बिहारी.
बगैर किसी विशेषण या क्रिया विशेषण के।
भदेस बिहारी। एकदम ठेठ।
वैसे आज कल मुझे उत्तर-भारतीय भी माना जाने लगा है।
हिन्दी भाषी उत्तर भारतीय।
बहुत दिन नहीं हुए जब मेरे प्रांत से आने वाले तमाम भाईयों को पूरे देश से अलग समझा जाता था। उन्हें अलग एवं ख़ास विशेषणों से नवाज़ा जाता था,पर आज कल माहौल थोड़ा बदल गया है। ठेठ और भदेस समझे जाने वाले हम वतन भाई बन्धु इन दिनों अपने प्रमोशन का ख़ूब मज़ा भी ले रहे हैं। अब चुँकि ज़माना ग्‍लोबलाइज़ेशन का है सो किसी प्रकार हम बिहारियों का थोड़ा प्रमोशन और हो जाता तो बेहतर होता हम भी पूरे तौर पर भारतीय बन जाते।

बाला साहब की बड़ी मेहरबानी है कि उन्‍होंने यूपी वालों और समस्‍त हिंदी भाषा बोलने वालों को एक ही तराजू से तौल दिया। वरना हम बि‍हारियों को तो अब तक यूपीवाले भी उत्तर-भारतीय मानने से इंकार कर रहे थे। अब जब बाला साहब ने बात छेड़ ही दी है तो दिल में कुछ और ख्‍वाहिशें जवाँ होने लगी हैं


काश ! बाला साहब ठाकरे बुश की जगह अमेरिका के राष्‍ट्रपति होते और तब गरीब गंदे बिहारियों और तमाम दूसरे साफ सुथरे भारतीयों को एक साथ गरियाते। तब हम सच्‍चे अर्थों में भारतीय हो जाते. पूरा भारत ग़रीब हिन्दीभाषी होने के जुर्म में एक साथ खड़ा होता

हे बाला साहब ! आप ओबामा का रूप क्‍यों नहीं धारण कर अमेरिकी चुनाव को एन्टी बिहारी ऊप्स एन्टी इन्डियन का मुद्दा उछाल कर चुनाव अभियान को नई दिशा देते। वैसे अगर आप ओबामा या हिलेरी को अपना आशीर्वाद दे दें तो हो सकता है कि वह भी आपका काम कर देते । काश कि वह हम बिहारियों को तमाम भारतीय लोगों के साथ बुरा भला कहते।
और हम सब बिहारी यूपीवासी,गुजराती,मराठी जैसे छोटे विशेषणों से ऊपर उठ भारतीय बन जाते।

बाला साहब के लिये भी एक बड़ी खबर है

सुना है कि बिहार के झुमरी तलैया में तालाब के बीच में बाला साहब का एक मन्दिर बनवाया जा रहा है,ख़ास बात यह है कि मन्दिर में जाने के लिये उत्तर दिशा से एक भव्य प्रवेश-द्वार बनवाया जा रहा है जिस पर उत्तर भारतीय प्रवेश द्वार अंकित कराया जायेगा,मन्दिर में मराठियों का प्रवेश पर रोक होगी। केवल बाला साहब ही उनके इकलौते प्रतिनिधि के रूप में वहाँ मौजूद होंगे।

वैसे उत्‍तर-भारतीय होने की बात ही जुदा है,कुछ ख़ास है एक अजीब एहसास है।

बुधवार को मैंने अपने एक यूपी वाले भाईसाहब को फोन किया
घंटी जाने पर
जब उन्‍होंने पूछा कौन बोल रहा है?
मैंने कहा उत्तर-भारतीय बोल रहा हूँ साहब,
हिंदी भाषी भी हूँ ...
उन्‍होंने तुरंत अफसोस जताया और कहा
हां यार कल तक बाला साहब बिहारियों को बुरा-भला कह रहे थे
अब उन्‍होंने उत्तर-भारतीय को भी जोड़ लिया है
अब हमें मिलकर इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए.
हम मीडिया में है और चुप बैठे हैं बताओ क्‍या किया जाना चाहिए....

बताना जरूरी समझता हूं कि कुछ समय पहले जब असम में बिहारियों को मारा जा रहा था
बेचारों को वहां से भगाया जा रहा था
तब इन्‍हीं सज्जन ने मुझे फोन किया था
और कहा था बिहारी लोग बहुत गंदगी फैलाते हैं
उन्‍हें तो दिल्‍ली से भी भगा देना चाहिए.

बाद में जब रेलवे की नौकरी के लिए
बिहारी बेरोजगार महाराष्‍ट्र पहुंचे और वहां उनकी पिटाई हुई तो
एक दिल्‍लीवासी पंजाबी भाईसाहब से फोन पर बातचीत हुई थी
इसी मसले पर भाईसाहब ने
अफसोस जातते हुए कहा था कि
यार एक बात बोलूँ, बुरा मत मानना पर तुम लोग इसी के लायक हो
बुधवार सुबह
टीवी पर बाला साहब का बयान आने के बाद शाम को को
मैंने
इन्‍हीं पंजाबी भाईसाहब को फोन लगाया था
और कहा कि भाईसाहब मैं उत्तर-भारतीय बोल रहा हूं
मैं अब बिहारी नहीं रहा
उन्‍होंने कहा कि समझा नहीं
मैंने कहा
सर बाला साहब और ठाकरे परिवार की बड़ी मेहरबानी है
आजकल सभी हिंदी भाषी उत्तर-भारतीय बन गए हैं ,
कोई बिहारी, यूपी का भईया नहीं रहा
पता नहीं क्‍यूं
वह कुछ बोल नहीं पाए ...
सॉरी यार
बोल के फोन रख दिया...
बाद में
फोन ही नहीं उठाया उन्‍होंने ।

बताते चलें कि नोएडा के कॉल सेंटर ने ग़ज़ब का काम किया है
यूपी बिहारी और मुस्लिमों को नौकरी देने से इंकार कर दिया।
नेटएंबीट कंपनी और उनकी एचआर कंसल्‍टेंसी कनेक्‍ट ग्‍लोबल रिक्रूटमेंट का दिल से शु्क्रिया

बहुत दया है साब !
उन्‍होंने एक बार फ़िर‍ हम लोगों को साथ रख दिया है

मेरा मानना है कि इन सभी संस्‍थानों और संगठनों को देश में एकता और समरूपता के प्रहरी होने का पुरस्‍कार दिया जाना चाहिए.
............
जाते-जाते
बाला साहब का लेटेस्‍ट बयान पर एक हमवतन हिंदीभाषी उत्तर -भारतीय भाई का जबाब आया है..
बयान था
पहले बिहार में महात्‍मा बुद्ध,महावीर,चाणक्‍य पैदा होते थे इन दिनों लालू,पप्‍पू और चप्‍पू जैसे लोग पैदा हो रहे हैं
जवाब आया है
हमें अफसोस है कि बाला साहब और राज ठाकरे जैसे लोग यहां पैदा नहीं हो पाए......
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शुक्रिया उत्तर-भारतीयों।
ठाकरे परिवार को ख़ास तौर से धन्यवाद।
बुरा लगे तो बिहारी समझ कर गाली दे देना।वैसे अब आप मुझे उत्तर भारतीय भी कह सकते हैं।