Thursday, May 23, 2019

इस हार के बाद

हो सकता है
इस हार के बाद 
कई साथ छोड़ जाएं
कुछ मुखौटा उतारकर पाला बदल लें। 
या फिर एक आरामदेह सुकूनभरी 
जिंदगी की बात कहकर 
अपनी प्राथमिकताएं बदल लें। 
हो सकता है कि
 मेरी महबूबा मुझ पर तरस खाए
 समझाए और कहे
 अब जिद छोड़ दो
 संस्कृत के उस श्लोक के हिस्से को दोहराए
 और कहे
महाजनो येन गता स पंथा
हो सकता है 
मेरे बच्चे विरोध में
खड़े हो जाएं
और कहें
पापा अब बस भी करो
हो सकता है 
पूरी दुनिया 
समवेत स्वर में कहे मुझसे
तुम हार गए हो
तुम हार गए हो।
फिर भी मेरी जां
जब तक मेरी आत्मा जिंदा है
और जब तक उसकी आवाज 
मुझे सुनाई देती है
तब तक 
विरोध का झंडा लिए
मैं यहीं रहूंगा
मैं यहीं रहूंगा।
सच तो यही है कि
मैं विपक्ष में ही रहूंगा
फिलहाल जो मजबूरी में 
मेरे साथ खड़े हैं 
वो अगर कभी जीत भी गए
तो भी मैं उनके साथ नहीं जा पाऊंगा
मैं यहीं रहूंगा
मैं यहीं रहूंगा ।।

- अभय 
दिल्ली। 23 मई 2019