शायद यही है सच
एक दूसरे के लिए
कुछ पाने और सब खोने
की तमन्ना
शायद यही सच है
एक दिन
सब रिश्ते
ऐसे ही
रूक जाते है
जैसे
पानी कहीं
बहता
रूका पडा हो
किसी झील में
शायद यही सच है
शायद ....
Tuesday, October 30, 2007
Monday, October 29, 2007
रात जब
रात जब
दफ़तर से लौट रहा था
मेरे साथ मेरा गम भी था
उसने पूछा
दफ़तर से घर जाते वक्त
मुझसे कुछ सवाल
तन्हाईयो से भरे
उदास करता गया
तब सामने से एक रोशनी आई
देखा
जिंदगी सडक पर लोट रही थी
दफ़तर से लौट रहा था
मेरे साथ मेरा गम भी था
उसने पूछा
दफ़तर से घर जाते वक्त
मुझसे कुछ सवाल
तन्हाईयो से भरे
उदास करता गया
तब सामने से एक रोशनी आई
देखा
जिंदगी सडक पर लोट रही थी
परछाईयां
परछाईयां
कल रात एक सपना आया
कुछ काली परछाईया
आपस में लड रही थी
अंधेरा घना था
और परछाईया
और काली थी
अचानक एक बिजली सी चमकी
उजाले के आभास ने
विचारों को तोडा
देखा तो मेरा चेहरा
दूसरे चहरे से जिरह कर रहा था
दूसरा भी
मैं ही था ,,,,
कल रात एक सपना आया
कुछ काली परछाईया
आपस में लड रही थी
अंधेरा घना था
और परछाईया
और काली थी
अचानक एक बिजली सी चमकी
उजाले के आभास ने
विचारों को तोडा
देखा तो मेरा चेहरा
दूसरे चहरे से जिरह कर रहा था
दूसरा भी
मैं ही था ,,,,
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