Monday, October 29, 2007

रात जब

रात जब

दफ़तर से लौट रहा था

मेरे साथ मेरा गम भी था

उसने पूछा

दफ़तर से घर जाते वक्‍त

मुझसे कुछ सवाल

तन्‍हाईयो से भरे

उदास करता गया

तब सामने से एक रोशनी आई

देखा

जिंदगी सडक पर लोट रही थी

2 comments:

Udan Tashtari said...

क्या बात है, आजकल बहुत कम लिखा जा रहा है?? सब ठीकठाक होगा, ऐसी उम्मीद करता हूँ.

Monika (Manya) said...

Udaasi aur aas.. aaj ki bhaag daud ki zindagi ka ek sach... behatreen..