विक्क्सों भाई की हट ट्रिक
जिन्दगी न जाने किस मोड़ पर ले आयी है,
अब तो अपने भी बेगाने से लगने लगे हैं...
मन मन्दिर में बिठाकर जिन्हें पूजा था मैंने,
उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी.....
दिल का करार न जाने कहां खो गया है,
लेकिन एक वो है कि उन्हें अब लौटना गवारा नहीं....
एक छोटा सा सफ़र दर्द का सैलाब बन जाएगा,
मुझे इस बात का एहसास नहीं था.....
उनका ख़्याल आते ही जहन में पुरानी यादें एक बार फिर से ताज़ा हो जाती हैं,
समय के साथ उनमें भी फर्क आ गया है....
पहले यादों के साथ चेहरा खिल उठता था,
आज वही यादें नश्तर चुभने का काम करने लगी हैं....
तनहा जीना मुमकिन सा लगने लगा है,
अब तो ऐसा लगने लगा है कि उनकी याद में मेरे जीवन कि डोर टूटती जा रही है........
1 comment:
bhut badhiya. bhav bhi bhut sundar ban pada hai. jari rhe.
aap apna word verefication hata le taki humko tipani dene me aasani ho.
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