Sunday, April 4, 2010
कभी जंग ए आजादी देखी थी मैंने, आज हमवतनों ने आग लगा दिया
- मैं बूढ़ा नीम का पेड़ हूं
मॉल रोड पर करीब दो सौ साल पुराने पेड़ में किसी ने आग लगा दी। शनिवार दोपहर बाद पेड़ गिर चुका था। वेस्ट यूपी मंे नीम के बूढ़े दरख्तों में जानबूझकर आग लगा दी जाती है।
मेरठ में कभी जंग-ए-आजादी देखी थी मैंने। मॉल रोड पर फिरंगियों का राज आज भी याद है मुझे। आजादी की पहली लड़ाई के दौरान वीर सपूतों ने मेरे सामने ही अंग्रेजों को खदेड़ा था। ब्रितानी राज के खात्मे के बाद हिन्दुस्तानी हुकूमत के परवान चढऩे का भी मैं गवाह रहा था। मगर मेरे हम वतनों ने ही शनिवार देर रात को मेरी खोखली हो चुकी जड़ों में आग लगा दी।
मैं नीम का पेड़ हूं। मेरी उम्र तुम्हारी तीन पुश्तों से भी ज्यादा है। बीते डेढ़ सौ सालों से मैं मॉल रोड के इतिहास के हर पल का गवाह रहा हूं। बीसी जोशी ऑफिसर्स इन्कलेव के रास्ते पर मेरी घनी छांव राहगीरों को तपती दुपहरी में सकून पहुंचाती थी। मेरठ कैंट में रहने वालों को जन्म से ही शुद्ध ऑक्सीजन दे रहा हूं। ना मालूम कितने पक्षियों को आसरा दिया मैंने। मगर ढलती उम्र में दीमक का शिकार होने के बाद मुझे ही आग लगा दी।
एक दिन पहले तक तोपखाने और लालकुर्ति समेत आस पास के इलाके से महिलाएं मेरी पूजा करने आती थी। मेरी छांव में कई देवताओं की मूर्तियों को विश्राम दिया। पर जब आग लगी तो फायर विभाग भी खानपूर्ति करने पहुंचा। शनिवार दोपहर तपती दुपहरी में मैं धीमे-धीमे जलता रहा। मगर कोई मुझे बचाने नहंी पहुंचा। आग की वजह से दोपहर में भरभराकर गिर गया। शाम तक भी धुंआ मेरे तनो को बुरी तरह जला चुका था।
बीते बीस घंटों से मॉल रोड पर मेरे कई हम उम्र साथी मुझे जलता देखने को मजबूर है। कुछ माह पहले मेरे ही सामने मॉल रोड पर करीब पांच मीटर दूर मुझसे भी दो गुणी उम्र के पेड़ को काट डाला गया था। तब मैं खामोश था। आज सब खामोश हैं।
शम्सुद्दीन का गुस्सा
शनिवार दोपहर को 76 साल के शमसुद्दीन जलते पेड़ को देखने पहुंचे थे। कभी शाहपीर गेट पर रहने वाले और फिलहाल तोपखाना निवासी शमसुद्दीन बेहद गुस्से में थे। दरअसल उनकी बचपन की यादें इस पेड़ से जुड़ी थी। उन्होंने बताया कि डोगरा लेन, सीडीओ ऑफिस के पीछे और साकेत स्थित नीम के पेड़ की तरह इसमें भी अंधविश्वास की वजह से आग लगाइ जा चुकी है। उन्होंने बताया कि अंधविश्वासी मानते हैं किसी पुराने नीम के पेड़ मंे आग लगा देने से संतानप्राप्ती होती है। इसी अंधविश्वास की वजह से करीब दो सौ साल पुराने नीम के पेड़ को जला दिया गया।
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2 comments:
nice
बहुत बुरा किया। मैं भी कभी न कभी इसके पास से गुजरी हूं, दुख हुआ पढ़कर।
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