तुम कितने अजनबी थे
जब आए थे हमारे ज़िन्दगी मे
विश्वास नही होता
आज ज़िन्दगी बन गये हो तुम
हमारे जीवन मे रौशनी फैलाये हो
हमे खुशियों के सागर मे डुबोया है
दिल का कोना-कोना झिलमिलाया है
मेरे तन-मन को मह्काया है
हर ख्वाब दिखाया
दिल चौक उठता है जब
अहसास होता है
तुम हमारे नही हो
सारा विश्वास चकनाचूर हो जता है
आस्था चरमरा जाती है
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी
kaap जाती हूँ
प्रशन करती हूँ ?
क्या बिच मझधार मे छोड जाओगे
क्या अंत तक साथ न दे पाओगे
या कश्ती को भवर मे डाल जाओगे
अब देखती हूँ तुम्हे, तो लगता है
तुम थे ही नही हमारे
बस कुछ समय के लिए
ख्वाब बन, आ गाए थे हमारे पास
वो पल ही अब हमारी धरोहर है
उन्ही को संजोए
चलती रहेगी जिन्दगी हमारी।
4 comments:
आपकी प्रस्तुति प्रशंसनीय है,अच्छी पंक्तियाँ है,पढ़कर अच्छा लगा.
बढ़िया है. लिखते रहें.
Thnx Nivedita for ur comment on my write-ups.. aapko pasand aayi jaankar achha laga.. aap bhi acchaa likhti hain .. aur kaafee achha likh sakti hain.. likahtee rahiye.. kalam khud dhaardaar ho jaayegi,.. meri shubhkaamnaayen....
Manya....
ye to bilkul aap ki kavita har ek ki dil-e-pukar lag rahi hai.badhiya likha hai.
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