सर्व प्रिर्य मां विषय पर विक्सन भाई ने कुछ लिखा है। जो रचना बनी है उसे पाठकों ने भी खूब सराहा है। यकीन न आता हो तो कमेंट देख लीजिए।
माँ
बचपन से लेकर जवानी तक बहुत कुछ सिखा जाती है माँ..
रात में लोरी सुनाकर सपनों के देश में ले जाती है माँ..
बच्चों की आंखों में आंसुओं का छलकना देख नहीं पाती है माँ..
अपने आँचल के साये से उन्हें पल में पोंछ डालती है माँ..
मुश्किलों से खुद जूझती पर परिवार में हमेशा प्यार बंटती है माँ..
कुछ इस तरह से जिन्दगी गुजारती है माँ..
माँ न होती तो दुनियां में कुछ भी न होता..
यह धरती न होती यह आकाश भी न होता..
6 comments:
सही है.
माँ का जितना भी स्तुति गान करें कम है.
"माँ का प्यार एक चाँदनी, शीतल ठंडी छांव
सुख सारे इस गोद में, दुःख जाने कित जाव"
bahut achchi post....
माँ न होती तो दुनियां में कुछ भी न होता..
यह धरती न होती यह आकाश भी न होता..
सही बात है। मां से ही तो हम हैं।
बिल्कुल जी-माँ का जितना भी स्तुति गान करें कम है.
बहुत उम्दा.
aap bhi na hote aur main bhi na hota....wakai yahi hai maan meri maan...jaan se bhi pyari maan.
क्या सीरत क्या सूरत थी!
मां ममता की मूरत थीं!
पाओं छुए और काम हुए!
अम्मा तो एक महूरत थीं!
कितना सही विषय चुना है आपने!
माँ के लिए पढना और लिखना
दोनों ही पूजा के सामान हैं!
इसलिए इस विषय पर आगे भी
आप लिखते रहेंगे ऐसी आशा करता हूँ!
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