Friday, June 1, 2012

क्योंकि मेरे पास अपने सपने नहीं हैं।



मुङो अपना चेहरा याद नहीं 
पर यकीनी तौर पर 
मैं वो नहीं रहा 
जो कभी था। 
अब मेरे पास 
अपने सपने नहीं रहे 
अब मेरा दायरा बंध गया है। 
अब मेरी बीवी और बच्चें हैं
अब मुङो बच्चों की खतीर
काम करना होगा 
अब मुङो उनकी नजर में 
अच्छा बनना होगा 
मैं यह नहीं जानता 
कि मेरा क्या होगा 
क्योंकि मेरे पास 
अपने सपने नहीं हैं। 
अब हर माह 
मेरी बीवी, मेरी तन्खवाह 
का खर्च पूछती है। 
बचत क्यों नही करते 
यह उलहाना देती है। 
मेरी बूढ़ी मां 
मेरे बड़े भाई के घर पर 
रहती है
वहां मेरी भाभी को 
दूसरा बच्चा होने वाला है। 
मेरे बूढ़े पिताजी 
अपने बनाएं घर में 
अब अकेले रहते हैं 
और मैं यहां 
उन्हें भूल गया हूं। 
अभी मेरे बेटे ने 
बोलना शुरू नहीं किया है। 
अभी मेरे पास इस दिल्ली शहर में 
कोई घर नहीं है। 
हर माह किराए में 
वेतन का बड़ा हिस्सा 
कुर्बान हो जाता है। 
मेरी बीवी मुझसे 
अपना घर खरीदने को रोज कहती है। 
अपनी नौकरी में 
उसने भी कुछ पैसे 
बचाएं हैं। 
पर मै उससे कह नहीं पाता 
कि यूं तो 
एक दिन हम भी 
बूढ़े हो जाएंगे
और तुम भी 
मेरी बूढ़ी मां की तरह 
अपने बेटे के घर 
बुला ली जाओगी
और तुम्हारे सपनों के घर में 
मैं अकेला रह जाउंगा। 

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