हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम ही कहो कि ये अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है?
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है?
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है?
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है?
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है?
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ग़ुफ़्तगू = Conversationअंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू = Style of Conversationपैराहन = Shirt, Robe, Clotheहाजत-ए-रफ़ू = Need of mending (हाजत = Need)गुफ़्तार = Conversationताक़त-ए-गुफ़्तार = Strength for Conversation
दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेजार
या इलाही ये माजरा क्या है।
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है।
जान तुम पर निसार करता हूं
मैं नहीं जानता दुआ क्या है।
–मुश्ताक़ = Eager, Ardentबेज़ार = Angry, Disgusted
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक।
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक।
हम ने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक।
ग़म-ए-हस्ती का ‘असद’ किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक।
सब्र-तलब = Desiring/Needing Patienceतग़ाफुल = Ignore/Neglectजुज़ = Except/Other thanमर्ग = Deathशमा = Lamp/Candleसहर = Dawn/Morning
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।
होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।
ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे।
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।
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बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल = Children’s Playgroundशब-ओ-रोज़ = Night and Dayनिहाँ = निहान = Hidden, Buried, Latentजबीं = जबीन = Brow, Foreheadकुफ़्र = Infidelity, Profanity, Impietyकलीसा = Churchजुम्बिश = Movement, Vibrationसागर = Wine Goblet, Ocean, Wine-Glass, Wine-Cupमीना = Wine Decanter, Container
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना
कि खुशी से मर न जाते ग़र ऐतबार होता।
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई होता कोई ग़म-गुसार होता
कहूँ किससे मैं कि क्या है शब-ए-ग़म बुरी बला है
क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता।
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को
ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।
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विसाल = Unionनासेह = Councellorचारासाज = Healerग़म-गुसार = Sympathizer
2 comments:
Good collection.
wonderful.. but still not mentioning source...
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