Tuesday, July 3, 2007

मैं बस एक गुजरता लम्हा हूं


"क्यूं इतने सवाल करते हो मुझसे... इतने प्रश्नचिन्ह किसलिये????..... तुम भी जानते हो और मैं भी... कोई रिश्ता नहीं तुम्हारे मेरे बीच.... ना हम साथी ना ही हमसफ़र...ये बस एक राह्गुजर जहां हम मिले अचानक यूं ही.... मैं ना तुम्हारे कल में शामिल थी..... ना आने वाला कल मुझसे जुड़ा है..... मैं बस अभी हूं... यहीं केवल इस पल में शामिल हूं.... मैं खुशी हूं चंद लम्हे लाई हूं... प्यार के... मुस्कान के.. साथ हूं कुछ दूर का बस.... आई हूं अपनी मुस्कान तुम्हारे होठों पर सजाने... कुछ लम्हों के फ़ूल जिंदगी में खिलाने... देखो मेरी निगाहों से दुनिया को... सजने दो पलकों में फ़िर सपने नये.... तुम किस कशमकश में हो... कैसी उलझन... ये कैसा अविश्वास मेरे होने पर.... मैं एक गुजरता लम्हा हूं...गुजर जाउंगी बहते वक्त के साथ... एक लहर हूं आई हूं और लौट भी जाउंगी... मन की सूखी मिट्टी को भिगोने दो मुझे.... होने दो गीला-गीला मन.....गुनगुना लो इस भीगे नग्मे को .. अपने सूखे होठों पर..कर लो साथ जिंदगी के लम्हों में.... शामिल नहीं हो सकती तुममें... ना होना चाहती हूं... मैं बस एक एहसास हूं .... मह्सूस करो.... क्यूं बांध रखा है खुद को... कैसा डर खुशी से, रंगों से.... मैं आई हूं रंग भरने... जिंदगी की तस्वीर में... कल जब चली जाउंगी... दे जाउंगी ये तस्वीरें .. कुछ यादें.. गीला मन.... खिली मुस्कान.. चंद गीत....ना कभी थी ना कभी रहूंगी.... चाहा कुछ नहीं.... बस लौटाने आई हूं तुम्हारे ख्वाब...विश्वास...सरगम...तुम्हारी जिंदगी....अब और सवाल मत करो... यकीन करो इस गुजरते लम्हे का.... खोने दो मुझे .. तुम खुद को पा लो... देखो बीतता जाता है वक्त.... और गुजरना है मुझे भी...."

4 comments:

Hasan Naved said...

Listen its really beautiful again mujhe aisa lagta hain Na jane kitne ansuljhe pahlu hain aapke dil-o-dimaag main itni gehraai waqai tareef ke qabil hain aap aisehi likhti raha karein ham jaise logo ko inspiration milti hain

Monika (Manya) said...

Thanx for liking my write-ups Raj...

Chandra S. Bhatnagar said...

अनन्त सच का साक्षात्कार व्यक्ति को मूक कर देता है। आप के यह लघु-लेख उसी सच के सम्मुख ला कर खड़ा कर देता है जहाँ हर दलील, चर्चा या सिद्धांत बौना हो जाता है। सभी युक्तियां, शास्त्रार्थ, विषय-प्रमाण एवं वाद-विवाद सत्य की खोज हेतु होते हैं। पर जब सत्य साक्षात समक्ष हो, तो केवल मौन ही शेष बचता है। उसी मौन का आभास हुआ पढ़ कर। बहुत निराला लेख।

S Rushaid Ali said...

Realy, no words simply outstanding.
and the way you present e fact of life i realy inspired.